यीशु तेरे सम्मुख में आनन्द है मुझे
यीशु तेरे सम्मुख में आनन्द है मुझे
पाता हूँ सुरक्षा तेरे हाथ की छाया में – (2)
तूझ में शरण पाने के लिए हूँ आया
तेरा चेहरा देखकर मैं हर्षित राहूंगा | -(2)
कोरस: अनुग्रह, अनुग्रह कह के आगे बढ़ूँगा
उकाब की मानिन्द मैं उड़ता रहूँगा -(2)
प्रतिदिन प्रभु कृपा दे मुझे
अभिषेक देकर चला तू मुझे – (2)
2. सुखदायक सुगन्ध प्रार्थना में बनने के लिए
गन्धरस के पहाड़ पर मैं बना रहूँगा -2
शुक्रगुजारी के दिल से धन्यवाद करने
लोबान के पहाड़ पर मैं रहता हूँ प्रभु |
अनुग्रह, अनुग्रह कह के आगे बढ़ूँगा
उकाब की मानिन्द मैं उड़ता रहूँगा -(2)
प्रतिदिन प्रभु कृपा दे मुझे
अभिषेक देकर चला तू मुझे – (2)
3. तेरे फज़ल के धन से मुझे है भर दे
अनुग्रह के वचन मेरे होठों में भर दे -2
अनुग्रह की बातें और काम मैं करूंगा
जीवन भर मैं परिश्रम करता रहूँगा |
4. यीशु अपने अनुग्रह से बलवन्त कर मुझे
मेरी निर्बलता में सदा आनन्द करूँ मैं -2
बीमारी और कमजोरी से जब पीड़ित हुआ
अनुग्रह के हाथों से मुझे चंगा किया |
अनुग्रह, अनुग्रह कह के आगे बढ़ूँगा
उकाब की मानिन्द मैं उड़ता रहूँगा -(2)
प्रतिदिन प्रभु कृपा दे मुझे
अभिषेक देकर चला तू मुझे – (2)
5. अनुग्रह का द्वार शिध्र है बन्द होने वाला
कृपा से आगमन के लिए तैयार कर मुझे-2
तेरे हाथों से प्रतिफल पाने के लिए
विश्वास और अनुग्रह से दौड़ता रहूँ मैं |