हे परदेसी तु ! जा रहा है कहाँ ?
हे परदेसी तु ! जा रहा है कहाँ ?
तेरे जीवन का अन्त है कहाँ ? -2
फूल की मानिन्द तू मुर्झाएगा किसी दिन
नित्यता कहाँ तुम बिताओगे -2
1. मृत्यु और पाप पीछा करते हर दिन तेरे
जीवन और मृत्यु प्रभु ने रखे तेरे सामने -2
चुनना तेरा काम, बचाले अपना प्राण
कल तेरा नहीं, करले यीशु को स्वीकार |-2
2. भाप और बुलबुले, के समान है जीवन तेरा
अचानक से ही, रुक जाएगा श्वास भी तेरा -2
स्वर्ग या नरक, कहाँ है तेरा स्थान ?
जीवनदाता यीशु, बचाता तेरा प्राण | -2
हे परदेसी तु ! जा रहा है कहाँ ?
तेरे जीवन का अन्त है कहाँ ? -2
फूल की मानिन्द तू मुर्झाएगा किसी दिन
नित्यता कहाँ तुम बिताओगे -2
3. धरती पर नहीं, कोई स्थाई नगर तेरा
यात्री सा जीवन, बिताकर संसार को है छोड़ना -2
नित्य जीवन पाना, स्वर्गीय मार्ग में चलना
यीशु तेरे लिए, एक स्थान तैयार करता |-2
4. जगत है माया, इस पर विश्वास कभी न कर
धोखा यह देता, दु निया की महिमा दिखाकर -2
नया यरुशलेम, तेरा नित्य नगर
प्राप्त करने उसे, अपने आप को अर्पण कर |-2
हे परदेसी तु ! जा रहा है कहाँ ?
तेरे जीवन का अन्त है कहाँ ? -2
फूल की मानिन्द तू मुर्झाएगा किसी दिन
नित्यता कहाँ तुम बिताओगे -2
5. इनाम पाने को, यीशु पर दृष्टि रखकर दौड़ो
पिछली बातों को, भूलकर अब आगे तुम बढ़ो -2
उसका आगमन, तेरा ही हो निशान
अन्त में पाओ तुम, स्वर्गीय सिंहासन |